प्याज घरेलु डॉक्टर
प्याज को किसी खास परिचय की आवश्यकता नहीं है। जरूरत है तो बस इसके स्वास्थ्य रक्षक गुणों को जानने की। ज्यादातर लोग इसे सिर्फ सब्जी-दाल का स्वाद बढ़ाने के लिए तड़का लगाने के काम में ही प्रयोग करते है लेकिंन आज जानते है प्याज के कुछ स्वास्थ्यवर्द्धक गुण।
प्याज बात शामक, कफ-पित्त बढ़ाने वाला है। यह रजोगुण और तमोगुण का भी वृद्धि करता है। अन्य गुणों में यह भूख बढ़ाने वाला, पाचन में सहायक, दृष्टि, शक्तिवर्द्धक, खुजली नाशक, पेट के कीड़े मारने वाला, आंतो की गंदगी दूर करने वाला तथा खून की कमी दूर करने वाला है। इसके सेवन से गुर्दे की खराबी, सूजन, कफ ढीला कर निकालने वाला, खांसी, जोड़ों के दर्द में लाभ करता है।
प्याज के कुछ औषधीय प्रयोग
अम्लपित्त एसिडिटी: सफ़ेद प्याज पचास ग्राम काट कर सौ ग्राम गाय के दही में, जरा सा भुना जीरा तथा कला नमक मिलाकर दिन में दो बार खाना लाभ करता है।
दस्त लगे तो : पचास ग्राम प्याज को काट कर खूब धोकर पाथेर पर पीस ले। सुबह खाली पेट पाव भर दही में मिलाकर खाएं, लाभ होगा।
पेशाब में जलन : पचास ग्राम प्याज छीलकर, काटकर आधा लीटर पानी में उबालें, पानी आधा बच तो ठंडाकर छान कर सुबह पिए लाभ मिलेगा।
नींद न आती हो तो : प्याज की बीजों को उबालकर चाय बनाएं, रात को पिए। केवल प्याज के बीज ही उबाले।
नजला-जुकाम : प्याज का रस दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लेना हितकर है।
कान दर्द : प्याज को भूनकर उसका रस दो बून्द कान में डालने से दर्द में आराम मिलेगा।
जहरीला कीड़ा काट ले तो : ततैया, मधुमक्खी, बैरेया के काटे स्थान पर प्याज पीस कर लगाना, प्याज रस दो -दो चम्मच पिलाना लाभकारी है।
चमड़ी की बीमारी : अलसी या तिल के तेल में प्याज फेंट कर या रस मिलाकर लगाना लाभकारी है।
सफ़ेद बाल : हृदय के लिए हितकारी है। लाल प्याज बलवर्द्धक होता है।
मसूड़ों की सूजन : दांत दर्द में इसके रस में नमक मिलाकर धीरे-धीरे मलने से लाभ होता है। इसके आलावा भी प्याज के बहुत से उपयोग होते है, जो किसी वैद्य की सलाह के अनुसार ही करनी चाहिए।
सावधानी : गर्म प्रकति वालों को या हानिकारक है। खाने से बचना चाहिए। ज्यादा खाने से याददाश्त कमजोर होती है।
प्याज के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए अनार के रस का प्रयोग करना चाहिए।
प्याज बात शामक, कफ-पित्त बढ़ाने वाला है। यह रजोगुण और तमोगुण का भी वृद्धि करता है। अन्य गुणों में यह भूख बढ़ाने वाला, पाचन में सहायक, दृष्टि, शक्तिवर्द्धक, खुजली नाशक, पेट के कीड़े मारने वाला, आंतो की गंदगी दूर करने वाला तथा खून की कमी दूर करने वाला है। इसके सेवन से गुर्दे की खराबी, सूजन, कफ ढीला कर निकालने वाला, खांसी, जोड़ों के दर्द में लाभ करता है।
प्याज के कुछ औषधीय प्रयोग
अम्लपित्त एसिडिटी: सफ़ेद प्याज पचास ग्राम काट कर सौ ग्राम गाय के दही में, जरा सा भुना जीरा तथा कला नमक मिलाकर दिन में दो बार खाना लाभ करता है।
दस्त लगे तो : पचास ग्राम प्याज को काट कर खूब धोकर पाथेर पर पीस ले। सुबह खाली पेट पाव भर दही में मिलाकर खाएं, लाभ होगा।
पेशाब में जलन : पचास ग्राम प्याज छीलकर, काटकर आधा लीटर पानी में उबालें, पानी आधा बच तो ठंडाकर छान कर सुबह पिए लाभ मिलेगा।
नींद न आती हो तो : प्याज की बीजों को उबालकर चाय बनाएं, रात को पिए। केवल प्याज के बीज ही उबाले।
नजला-जुकाम : प्याज का रस दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लेना हितकर है।
कान दर्द : प्याज को भूनकर उसका रस दो बून्द कान में डालने से दर्द में आराम मिलेगा।
जहरीला कीड़ा काट ले तो : ततैया, मधुमक्खी, बैरेया के काटे स्थान पर प्याज पीस कर लगाना, प्याज रस दो -दो चम्मच पिलाना लाभकारी है।
चमड़ी की बीमारी : अलसी या तिल के तेल में प्याज फेंट कर या रस मिलाकर लगाना लाभकारी है।
सफ़ेद बाल : हृदय के लिए हितकारी है। लाल प्याज बलवर्द्धक होता है।
मसूड़ों की सूजन : दांत दर्द में इसके रस में नमक मिलाकर धीरे-धीरे मलने से लाभ होता है। इसके आलावा भी प्याज के बहुत से उपयोग होते है, जो किसी वैद्य की सलाह के अनुसार ही करनी चाहिए।
सावधानी : गर्म प्रकति वालों को या हानिकारक है। खाने से बचना चाहिए। ज्यादा खाने से याददाश्त कमजोर होती है।
प्याज के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए अनार के रस का प्रयोग करना चाहिए।
वैद्य हरिकृष्ण पांडेय 'हरिश '
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