कांटे वाला गोखरू पथरी का दुश्मन
खान - पान की विषम स्थिति का परिणाम कम या ज्यादा लगभग सभी को प्रभावित करता है, जिससे कई शरीरिक बाधाएं जन्म लेती है। इन्हीं बाधाओं में एक पथरी, जिसका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। पथरी गुर्दे या मसाने (वृक) में होती है या फिर पित्ताशय अथवा पित्त की थैली में पथरी होने के कई कारण होते है या फिर पित्ताशय अथवा पित्त की थैली में। पथरी होने के कई कारण होते है तथा इससे रात-दिन सभी छोटे-बड़े प्रभावित होते है। हालांकि इसका तत्काल उपाय तो बस ऑपरेशन होता है लेकिन आयुर्वेद के विद्वानों ने अपने परिक्षण में गोखरू को गुर्दे की पथरी के लिए अत्यंत उपयोगी बताया है। जंगल में बिना किसी विशेष देखभाल के पैदा होने वाला, चलते पशुओं के पांवों में चुभकर उनको परेशान करना वाला गोखरू पथरी जैसी परेशानी में मददगार होता है। गोक्षुर, स्वादुंकटक, त्रिकंटक, भाखड़ा, स्माल कैलट्राप्स आदि नामों से इसे जाना जाता है, जो मुख्यत: वात, पित्त व कफ शामक है। जलन शांत करने वाला, खुलकर पेशाब लाने वाला है।
- अगर पेशाब में जरा भी गड़बड़ी लगे, कम आ रहा है। रुक-रुक क्र या जलन के साथ आ रहा है तो बिना देर किए इसका प्रयोग तुरंत लाभकारी है।
- गोखरू पथरी के अलावा पौरुष ग्रंथी विकार, नपुंसकता, धातु क्षय, स्वप्न्दोश एवं रक्तपित्त के उपद्रवों में भी अति उपयोगी है।
- गोखरू के नियमित सेवन से पथरी टुकड़ो में पेशाब के साथ निकल जाती है। पथरी रोग में इसके फलों का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह- शाम लेना लाभकारी है। यदि पेशाब के साथ खुन भी आ रहा है तो इसके चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री मिलाकर देना हितकर है।
- सुजाक (गनेरिया) में इसको एक घंटे पानी में भिगोए, फिर अच्छी तरह मथ कर छान कर दिन में चार बार, दो से तीन चम्मच की मात्रा में लेना हितकर है।
- पेशाब में होने वाली जलन के लिए इसके ताजा फल और पत्तो का रस चार-चार चम्मच दिन में तीन बार लेना चाहिए।
- प्रोस्टेट ग्रंथी का बढ़ना, पेशाब थोड़ा- थोड़ा रुक कर आना, पेशाब का प्रेसर काम आना, पेशाब करने जाएं तो बूंद-बूंद आना, अपने आप पेशाब निकलना, नियंत्रण न होना, मूत्राशय की सूजन में यह अत्यंत उपयोगी है। गोखरू दस ग्राम, 200 ग्राम पानी, 200 ग्राम दूध मिलाकर धीमी आंच में पकाएं आधा रहने पर छान कर, ठंड़ा कर पिने से उक्त परेशानी का समाधान होता है।
- किडनी को मजबूत बनाने में तो इसका जवाब नहीं। इसमें होने वाले क्रियटिन यूरिया स्तर को नियंत्रण में लाकर राहत देता है। गोखरू के प्रयोग से पंद्रह दिन में अप्रत्याशित लाभ मिलता है।
- गोखरू औषधि इतनी लाभकारी है फिर भी कई लोगो को इसके सेवन से हानि पहुंच सकती है। अत: इसके सेवन से पूर्व स्थानीय वैद्य से सलाह अवश्य ले।
वैद्य हरिकृष्ण पांडेय 'हरिश '
Post a Comment