पेट सफा तो सब रोग दफा
जी हाँ , पेट तो साफ रहता है ।
प्रत्येक आने वाले मरीज से चिकित्सक यह सवाल पूछते हैं । पेट साफ होता है ? तो जो अधिकतर मरीज जवाब देते है जो निश्चय ही गलत होता है । सब से मोटी पहचान तो यही है की यदि मरीज का पेट साफ हो जाता है । तो दवाखाने में क्या करने आया है । लेकिन यह बताना आदत भी बन गई है । और पेट साफ होने के बारे में में जानते भी नही । कई लोग दिन में कई बार यानी दो -तीन बार पखाना जाते है । तो कई लोग दिन में एक बार भी पखाना नही जाते है । और दोनों पेट साफ होना बताते है ।
पुरानी कहावत है एक बार योगी, दो बार भोगी ,तीसरी बार पखाना जाना रोग का लक्षण है ।आज कल टीवी पर एक ऐड आ रहा है ,जिसमे कहा जाता है" पेट सफा तो सब रोग दफा" मतलब सीधा साफ है । पेट साफ रहेगा तो हर दम काया निरोग रहेगी आज कल की भाग दौड भरी जिन्दगी ,में अपने बारे में सोचना तो कठिन है ही । बच्चो को भी यह नही सिखाया जाता है की सवेरे उठ कर पानी पीना जरुरी है जरा सा टहलना है फिर पखाने जाना है मगर बच्चों का हाल और भी अजीब है । कुछ बच्चे सवेरे उठे ब्रश किया , चेहरा चमकाया ,स्कूल ड्रेस पहनी , नाश्ता किया और चल दिये । दोपहर में आये खाना खाया मस्त । शाम खेलने ,रात खाना खाने के बाद सोने से पहले नहाए,जरूरी हूआतो पखाने जाना और सोना । यही प्रकिया बचपन से चलती युवा तक सुरक्षित चली आती है । तो सोचिये ,ऐसे लोगों की सेहत के बारे में इसके स्वास्थ्य के बारे में । इनके भविष्य के बारे में ।
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जो सुन्दर कपडे , स्ट।ईलिस जूते, और फ़ास्ट फ़ूड खा कर आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश दे रहे है । ऐसे युवाओ का बीस से पच्चीस के बीच पहुचते पहुचते ही आंखे भीतर धस जाती है । मुंह चिपक जाता है । चेहरा निस्तेज हो जाता है । क्यों ?
आज हस्पतालों में भीड़ के कारणों के बारे में सोचने की जरूरत है । जो कोई भी आवश्क नही समझता, यदि इस स्थिति को आज नही सम्भाला तो कल की स्थिति निश्चय ही भयावह होगी । समय है । आज नही, अभी से इस पर ध्यान केन्द्रित करने की । पहला सुख निरोगी काया । मगर संसार में बिना श्रम कुछ भी और कभी भी नही मिलता । निरोगी काया के लिये भी पैसा खर्च करने से पहले आपको अपना समय खर्च करने का संकल्प लेना होगा । जो पैसा खर्च करने से भी कठिन है । लेकिन यह भी सच है, की स्वास्थ्य के लिए समय खर्च करेगे तो लाभ ही लाभ है । कठिनाई यह भी है पहले तो आपकी दिनचर्या के कारण समय आपके पास है ही नही ,अगर थोडा बहुत है भी तो वह आलस्य के आधीन है । पेट साफ नही हुआ, देर से सोने के कारण नींद पूरी नही हुई तो आलस्य का रस्सा आपको जकड़ेगा । उसमे छूटना असम्भव है । तो फिर स्वास्थ्य के बारे में सोचने का क्या अर्थ है । क्या सेवरे प्रात: भोर बेला में उठ सकोगे ? दैनिक नित्य कर्मो से निवृत होकर घूमने जा सकोगे ? खुली हवा में योग , प्रण।याम ,व्यायाम कर पावोगे कदाचित नही ।
सोचिये और सकल्प लीजिये स्वास्थ्य है । तो संसार है , नही तो सब बेकार है । मानते है दिन चर्या व्यस्त है । काम की अधिकता है , थकान बहुत रहती है । यह सब होते हुये भी जिन्दा तो हैं ,चलते फिरते तो हैं । घर ,दफ्तर के काम तो सारे करते है । फिर स्वास्थ्य के प्रति इतनी लाचारी क्यों ? इसी व्यस्त दिनचर्या के साथ समझोता करिये । रात की ड्यूटी है तो दिन में और दिन की ड्यूटी है तो रात में अपने स्वास्थ्य के लिये कुछ न कुछ समय अवश्य निकालिये ।
स्वस्य रहने के लिए साधारण से सुझ।व हैं । इन पर ध्यान देने से निश्चय ही लाभ के अधिकारी हो सकते हैं । सेवरे यथा संभव जल्दी उठे ,"उषाजलपान " प्रात: काल पानी पीने की प्रसंसा आयुर्वेद मार्तण्डों ने की है । पानी पिये, पानी मिट्ठी के पात्र में ढक कर रखा गया उतम है । प्लास्टिक के बर्तनों से बचे यथा संभव शौच के बाद भ्रमण व्यायाम और प्रणायाम के लिये भी समय निकाले यकीन माने कुछ दिन का प्रयास आपके जीवन में बदलाव ले आयेगा ।
नियमित पेट साफ होने लगेगा, पाचन होगा , आरुची मिटने लगेगी, भूख लगने लगेगी , और थकान भी जाती नज़र आयेगी । आज खाने के लिये भी बहुत अच्छा नही है । सभी की सोच सुंदरता पर टीकी है । चाहे वस्तु हो या शरीर , अंदर चाहे गोबर भरा हो दीखने में सुंदर हो । इस सोच को बदलो । वास्तविक धरातल पर खुली आँखों से देखो आपके पास अपने लिये समय नही है । तो, आपकी यह आशा व्यर्थ है , की आप अस्वस्थ हैं , तो आप का डॉक्टर आपको पैसे के बल से तुरंत ठीक कर देगा । आप जैसे कई आपसे पहले कतार में नोटों के बंडल लिये खड़े है । अपनी सोयी उर्जा को जागृत करिये, जो भी जैसा भी है । समय पर, चबा चबा कर स्वाद लेकर खाएं । बीच में पानी न पिये । शीतल पेय से दूर रहे । मादक द्रव्यों के बारे में तो सोचे भी नही, फ़ास्ट फ़ूड । तले पदार्थ । खट्टे आचार । बेमेल वे मौसम के पदार्थों के सेवन का त्याग करे ।
एक कब्ज (पेट साफ न होना ) सौ बीमारियों के बराबर है । जो आपके स्वस्थ रहने के सारे रास्ते रोकने में सक्षम है । जिसको अपने पुरुषार्थ से अक्षम कर स्वस्थ बन सकते है ।
पेट साफ में मददगार है । पंचसकार चूर्ण , स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण या भूसी इसबगोल, मुनका का प्रयोग ।
हाजमे के लिए उपयोगी है । लवण भास्कर चूर्ण , यव।निखं।डव चूर्ण ,अग्नि मुख चूर्ण ।
भोजन के बाद पेट भारी हो तो , महाशंख वटी , हिंग्वाष्टक चूर्ण , का प्रयोग करें ।
यह सभी उपचार /उपाय सामन्य है । प्रयोग करने से पहले स्थानीय चिकित्सक से सलाह अवश्य करें ।
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