आंत्रशोथ इन दिनों खास बीमारी
आंत्रशोथ इन दिनों खास बीमारी
अन्य कई बीमारियों की तरह यह भी पेट से पैदा होने वाला या पेट का रोग है। जैसा नाम है 'आंत्रशोथ' यानी आंतो में सुजन। इसके होने का एक कारण नहीं। इसके पैदा होने के कई कारण जाने अनजाने भी बन जाते है।
इसका मुख्या कारण तो संक्रमण है ही, वह चाहे जैसे भी हो। जैसे - दूषित पानी-पीना, बासी भोजन, गारिष्ट भोजन, कटे फल, पेट में कीड़े। खासकर टेपवर्म, मिर्च मसालेदार चीजें खाना आदि।
अंतड़ियो में आंत्रसर हो तो भी यह रोग हो जाता है। आंत्रशोथ होने पर रोगी को बुखार भी हो जाता है। (अतिसार) दस्त भी होते है। बार बार दस्त होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। जिससे कमजोरी आती है। अतिसार के कारण ही आंव का संचय होता है तब मल के साथ आंव भी आने लगता है। धूम्रपान, शराब या अन्य नशीली वस्तुएं भी इस रोग का कारण बनती है। खट्टी वस्तु का सेवन भी आंतो में सूजन पैदा करता है।
जल्दी जल्दी भोजन करना, भोजन को बिना चबाये करना, गर्मागर्म खाना, कब्ज रहना भी इस रोह के वाहक है। गंदे पानी के सेवन से जीवाणु अंदर पहुँच कर आँतों पर संक्रमण करते है। यही संक्रमण वाहक कृमि आंतो में चिपक क्र शोथ पैदा करते है। इन्ही के संक्रमण से आंतो में घाव बन जाते है। आंव खून में मिल जाती है तो शरीर के खून को ही दूषित कर देती है। बड़ी आंत में शोथ हो जाने से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। इसी तरह विकार बढ़ते रहते है। इस विकार से बचाव के लिए कुछ जरुरी बातें -
बचाव - रोगी को आहार - विहार पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। रोगी को हल्का शीघ्र पचने वाला भोजन देना चाहिए। फलो का शुद्ध रस और हरी सब्जिया लाभदायक है। तले पदार्थ, मिर्च मसालों से बचना चाहिए। जहां तक संभाव हो सके पानी उबाल कर पीना चाहिए। ताजा भोजन करना चाहिए। दूध को फाड़ कर लेना चाहिए। नारियल का पानी लाभकारी है। अनार के दानो को चूसना अच्छा है बेल का शर्बत या बेल का मुरब्बा लेना उत्तम है। साफ़ तरीके से निकला अनार का रस गुणकारी है।
पतली खिचड़ी (बिना तड़का लगाये ) चावल, दही, छाछ का सेवन कराना चाहिए। छाछ खट्टी न हो इसके ध्यान रखे। कुटज धन वटी, चित्रकादि वटी, संजीवनी वटी, कुटजारिष्ट का सेवन लाभदायक है।
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