काम की बातें
हींग
हींग में स्वाद सुगंध के अलावा कई औषधिय गुण अपने में छिपा रखे है। उनमे से कुछ का विवरण इस प्रकार है।
- इसके प्रयोग से फेफड़े के रोगो में लाभ होता है। स्वास नली की सूजन, दमा, खांसी में हींग के प्रयोग से लाभ होता है।
- पेट फूलना, पेट दर्द, कब्जियत, आंतों की शिथिलता, अपचन और पेट के कीड़ो में इसका प्रयोग करते है।
- दाद और संधिवात जोड़ो के दर्द में हींग के प्रयोग से लाभ होता है।
- इसमें गंधक का अंश होने के कारण खुजली, खाज, मिटाने की क्षमता रखता है
- दाद पर हींग पानी में घोलकर लगाने से लाभ होता है। खुजली में भी पानी में घोल कर लगाना हितकर है। जोड़ो के दर्द में दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
लाल मिर्च
- लालमिर्च कमर दर्द, पसली का दर्द, कुल्हे का दर्द में मिर्च को पानी में पीस कर लेप करने से लाभ होता है।
- गले में दर्द होने पर तीन ग्राम मिर्च रात को पानी में भिगो कर (पानी की मात्रा लगभग 700 मिली हो) उससे सवेरे कुल्ला करने से दर्द में आराम मिलता है। इस पानी से कुल्ले और गरारे दोनों ही किये जा सकते है।
- कुत्ते के काटने से हुए घाव पर लाल मिर्च पीस कर लगाना लाभ दायक होता है। कंही - कंही ताम्बे का पैसा लालमिर्च पीसकर घाव पर बांधते घाव पर बांधते है।
- लालमिर्च में जहर को बेअसर करने की शक्ति है इसमें दर्द दूर होता है और घाव में मवाद नहीं पड़ने पाता।
- अनायास बड़बड़ाना में 2 ग्राम पिसी लाल मिर्च शहद में मिलाकर जीभ पर लगाने या चटाने से बेहोशी दूर हो जाती है। पीड़ित को आराम मिलता है और नीद आती है।
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