बड़ा दुखदाई जोड़ों का दर्द
बड़ा दुखदाई जोड़ों का दर्द
आयुर्वेद के विद्वानों ने स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या, भोजन और व्यायाम को मुख्य आधार माना है। वात व्याधि के पनपते ही पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है जो रोग को बढ़ाने में मददगार है। जोड़ो का दर्द वास्तव में तो बुढ़ापे का लक्षण विपरीत दिनचर्या ने जवानों को भी इस श्रेणी में ला खड़ा किया ह किया है।
समय पर खाना नहीं। समय पर सोना। नहीं शीतल पदार्थ का सेवन। वातानुकूल वाहनों में रहना। भोजन के स्वाद पर अधिक पौष्टिकता पर कम ध्यान। अधिक बैठना। .... ऐसी कई वजाहे हैं जिनसे छोटी उम्र में ही यह बीमारी घर जाती है
यू बढ़ता है मर्ज:
यह रोग शरीर के निचले हिस्से से शुरू होता है जिसे पांव के टखने, घुटने, हाथ की कलाई के जोड़ प्रभावित होते हैं। रोगी को पेशाब आता है और कब्ज भी रहने लगता है। शीतल पदार्थों का त्याग ना करने, वायु वर्धक खानपान, इलाज में लापरवाही से यह रोग भयानक होकर हृदय पर भी असर कर सकता है।भोजन के बारे में:
भोजन सोने से एक-दो घंटे पहले किया जाए। भोजन स्वादिष्ट तो हो लेकिन शीघ्र पचने वाला भी हो। भूख से थोड़ा कम खाया जाए। भोजन करने में शीघ्रता ना करें। चबा चबा कर धीरे-धीरे खाएं। यथासंभव पानी कम पीये। भोजन के बाद यथासंभव घूमे। सोने से पहले और उठने के बाद ईश्वर का स्मरण अवश्य करें।जो मना है: उड़द की दाल, गोभी, दही, मूली, चावल, गाजर, टमाटर, अरबी, संतरा, नींबू ,कोल्ड ड्रिंक्स, तली चीजें, अचार।
खाने में ले: ताजा भोजन, करेला,चौलाई, मेथी, लौकी, सहजन की फली का साग, अंगूर, सेब, पपीता, अदरक, लहसुन, सौंफ।
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