ब्रश का करे बहिष्कार अपनाये दातुन
ब्रश का करे बहिष्कार अपनाये दातुन
बाजार में तमाम तरह के टूथपेस्ट उपलब्ध है। ब्रश भी कई तरह के बाजार में है। इनमे कई कठोर, कोई मीडियम और कोई सॉफ्ट किस्म के है। बच्चों के लिए खास ब्रश भी बने है, देखा गया है चार-पांच साल के बच्चे ब्रश करते है। मुँह की सफाई के लिए ब्रश करना तो जरुरी है लेकिन यह भी जानना चाहिए कि बच्चा ब्रश सही तरीके से कर रहा है या नहीं। बहुत कम माँ बाप ऐसे है जो बच्चो को ब्रश पकड़ने का सही ढंग बता पाते है। हाँ, कई बड़ो को सही ब्रश करना नहीं आता।
परिणाम स्वरूप मसूड़े जख्मी हो जाते है, दर्द करने लगते है या सूज जाते है। ब्रश करते समय जल्दबाजी बिलकुल न करे। सही ब्रश का इस्तेमाल करे। ब्रश को धोना कभी न भूले। पेस्ट लगा धीरे धीरे ऊपर से नीचे-नीचे से ऊपर से ऊपर दांतो मसूड़ों पर रगड़े। ब्रश को हर रोज धोना इस लिए जरूरी है कि रखे गए ब्रश पर स्वाद या गंध के कारण कोई जीवाणु चिपक सकता है।
गरमपानी या साधारण पानी से धोने से ब्रश मुलायम होगा, चिपका जीवाणु भी छूट जाएगा। अंगुली से दांतो पर पेस्ट रगड़ कर यह मान लेना कि दांतो मसूड़ों की सफाई हो गई, तो यह भरम है। इस क्रिया से न तो दांत साफ़ हुए न मसूड़ों की मालिश।
शहरों में दातुन का आभाव माना जा सकता है। वह भी ज्यादा नहीं। ढूंढ़ने से तो हर चीज मिल जाती है, तो दातुन भी अवश्य मिल जाएगी। परन्तु यह भी जानना जरूरी है कि दातुन कैसी हो, कितनी लम्बी हो कितनी मोटी हो, किस पेड़ की हो आदि।
आयुर्वेद के विद्वानों ने दातुन का बड़ा महत्व बताया है। कौन से पेड़ की दातुन उपयोगी है , किस ऋतु में किस पेड़ की दातुन करनी चाहिए आदि। दातुन दांतो को साफ़ मसूड़ों को स्वस्थ और शरीर को निरोग करती है। जिस व्यक्ति के दांत जितने स्वच्छ चमकीले और सफेद होंगे वह व्यक्ति उतना ही स्वस्थ और निरोग होगा। दातुन करते समय इस बात का ध्यान रहे कि जल्दी में या लापरवाही से दाँतो मसूड़ों को कोई हानि न पहुंचे। यदि दातुन सख्त है या कूची सही नहीं बनी इससे दांतो-मसूड़ों को हानि हो सकती है। दातुन को खूब चबा कर मुलायम कूची बनानी चाहिये, दातुन को चबाने से दाढ़ों और मुँह का व्यायाम स्वतः ही हो जाता है। दांतो से चबाकर बनाई कूंची से धीरे-धीरे ऊपर से नीचे -नीचे से ऊपर की तरफ रगड़ना चाहिए इस क्रिया से दांत साफ़ और मसूड़े स्वस्थ होते है। वाराह पुराण के अनुसार दातुन की लम्बाई 12 अंगुल निर्धारित है मोटाई का नाप बीच की अंगुली जितना बताया है। दांत साफ़ करने के बाद इसको चीर कर धीरे -धीरे रगड़ कर जीभ साफ़ करनी चाहिए। इस क्रिया से जीभ पर जमी परत साफ़ होगी और मुँह की दुर्गन्ध दूर होगी।
किस मौसम में कौन -सी दातुन
ऋतुओं के अनुसार किस वृक्ष की दातुन उपयोगी है का विवरण इस प्रकार है :-
- ऋतु माह वृक्ष की दातुन हेमंत, अगहन - पूस में पीपल
- शिशिर माघ - फाल्गुन मर बरगद (बड़)
- वसंत चैत्र -बैसाख में गूलर
- ग्रीष्म जेष्ठ- आषाढ़ में पाकड़
- वर्षा सावन - भादो में पलाश (ढाक)
- शरद-अशिवन कार्तिक में जामुन
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