छोटे तिल के कई गुण है। ये खांसी, जुकाम से लेकर चरम रोग तक के लिए लाभकारी है। यह दंत शूल नाशक और बुद्धिवर्धक बवासीर में तिल को पीस कर गर्म करके बांधने से और मक्खन के साथ खाने से लाभ होता है।
खांसी में तिल का काढ़ा बनाकर मिश्री मिला कर पीने से जमा कफ निकल जाता है। औषधीय प्रयोग में केवल काले तिल ही उपयोगी माने गए है।
मासिक नियमित करने में तिल बहुत लाभकारी है। यही तिल अधिक मात्रा में लिए जाता है तो गर्भपात भी कर सकता है।
तिल का काढ़ा बनाकर सोंठ काली मिर्च और पीपल का चूर्ण मिला कर पीने से मासिक धर्म खुल कर होता है।
हड्डी की चोट या मोच पर तिल और महुआ को पीस कर बांधने से लाभ होता है।
सिर दर्द में इसके पते पीस कर लेप करने से तुरंत लाभ होता है। तिल, सिरस की छाल, सिरके में पीस कर मुँह पर लेप करने से कील, मुंहासे मिटते है, चेहरे पर निखार आता है।
तिल की जड़ और पत्तो का काढ़ा बनाकर बाल धोने से बालो का झड़ना बंद होता है, बाल काले होते है। बालों में तिल का तेल लगाना उपयोगी है।
गुड़ तिल मिलाकर खिलाने से बच्चे बिस्तर गीला नहीं करते।
{बातें सेहत की } के माध्यम से आपकी सेहतनिरोग रहने के लिये {लेखों} {आर्टीकलों}के द्वारा दी जारही जानकारी में पूरी सावधानी वरती जाती है।लेकिन प्रत्येक मनुष्य प्रक्रति अलग होने के कारण सभी समान लाभ नही होसकता।उक्त उपाय/उपचार प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है |
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