मधुमेह (Diabetes) एवं स्वास्थ्य (Health) सम्बन्धी चुनौतियां
मधुमेह बीमारी (Diabetes) के आंकड़े आजकल बहुत ही चिंता का कारण हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के Survey अनुसार दुनियाभर में
मधुमेह की बीमार लोग जो कि कुल जनसंख्या का ५० प्रतिशत भारत मैं लोग रहते हैं|
भारतीय
चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, एवं इंस्टीट्यूट फॉर
हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन 2017 सर्वे के अनुसार भारत में मधुमेह के रोगियों का 65 प्रतिशत पिछले पच्चीस
वर्षों में सात करोड़ लोग मधुमेह की बीमारी से ग्रसित लोग हैं एवं यह संख्या १२५ मिलियन तक वर्ष 2025 मैं यह दोगुने स्तर होगी. भारत के लिए, इस महामारी से लड़ने के
उपायों के बारे में हमें सोचना चाहिए|
मधुमेह
बीमारी के बढ़ने के पीछे, नब्बे के दशक के बाद की आर्थिक विकास की एक बड़ी भूमिका रही है. इस
आर्थिक विकास ने न सिर्फ लोगों के जीवन-स्तर, बल्कि रहन-सहन एवं खान-पान को भी प्रभावित किया है, जिससे मधुमेह जैसी बीमारी
बढ़ावा मिला है
आज 25 वर्ष से कम उम्र के हर
पांच लोगों में से एक व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी है साल २०१७ मैं प्रकाशित, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान
परिषद द्वारा किये गये सर्वे मैं भारत में राज्यों के बीच मधुमेह के प्रसार में
बड़े अंतर हैं, जिनका सीधा संबंध राज्य
के विकास दर से है|
आसान
जीवन-शैली, वसायुक्त एवं
कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार तथा उच्च कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन
से मधुमेह जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है जिसके चलते मोटापा, उच्च रक्त चाप जैसी बीमारियों में भी बढ़ोतरी हुई है. आजकल इस
बीमारी के चपेट में अमीर-गरीब एवं सभी आयु-वर्ग के लोग शामिल हैं|
लोगों
को इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाना चाहिए और जीवन-शैली
में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए. चिकित्सीय परामर्श के द्वारा लोगों को
जागरूक करने और स्वास्थ्य केंद्रों के साथ-साथ, परिवार, समुदाय एवं पंचायत मुख्य
भूमिका होनी चाहिए|
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