हैजा अमृत है छोटी-छोटी चीजे
हैजा अमृत है छोटी-छोटी चीजे
कड़कती धुप और झुलसती लू में भी घर से बाहर निकलना मज़बूरी है। यह मज़बूरी तब और उग्र हो सकती है जब प्यास से गला सूखने लगे। मरता क्या नहीं करता, जैसा भी पानी मिला पी लिया।
गुण - दोष भूल कर केवल प्यास बुझाकर सब्र करना होता है। लेकिन खुले-कटे फलो में या अन्य खुले में बिकने वाले पेय में जीवाणु होते है। जो शरीर में पहुंचकर हैजा को बुलावा देते है।
हैजा का आक्रमण होने पर जी मिचलाने लगता है, दस्त, उलटी और आंतो में ऐठन होती है। होंठ सूखते है, बार-बार प्यास लगती है, शरीर में पानी की कमी होने लगती है, दिल घबराने लगता है और पेशाब की मात्रा कम हो जाती है। इन में से कोई भी लक्षण दिखने लगे तो बिना देर किये प्राथमिक उपचार शुरू कर देना चाहिए, निम्बू नमक की शिकंजी पिलाने से चैन मिलेगा। थोड़ी-थोड़ी देर में बर्फ चूसना लाभकारी है, पेशाब लाने के लिए नाभि के नीचे गीला कपडा रखना चाहिए, दस लौंग आधा लीटर पानी में उबालकर, ठंडा कर, जरा सा नमक दाल कर बार बार पिलाना हितकर है।
उलटी के लिए पांच बून्द अमृतधारा एक गिलास पानी में मिला पिलाना लाभकारी है। हाथ-पांव में ऐठन हो रही हो तो तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है पानी उबालकर ठंडा किया हुआ ही देना चाहिए, खाने का सोडा पानी में घोल कर पेट पर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब आने लगेगा इससे मरीज को आराम मिलेगा। पुदीने का पत्तो को पीसकर पानी में मिलाकर स्वाद के लिए चीनी मिलाकर बार-बार पिलाने से बहुत लाभ होता है। बेचैनी और ऐठन हो तो जायफल को घिसकर लेप करने से लाभ होगा, मरीज को ठंडी खुली हवा में लिटाना चाहिए।
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