मालिश में है बड़े-बड़े गुण
मालिश में है बड़े-बड़े गुण
सेहत के लिए मालिश उत्तम उपाय है। पुरातन काल से देसी घी, तिल का तेल, सरसों का तेल या अन्य तेलों से मालिश की जाती रही है। इससे शरीर सुदृढ़, सुडोल, एवं लचीला होता है, खुश्की दूर होती है और त्वचा मुलायम व खिली-खिली हो जाती है।
वायु रोग में भी मालिश बहुत गुणकारी है। मालिश से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति और रक्त संचार में वृद्धि होती है। मांसपेशियां तनावमुक्त रहती हैं।
और भी कई गुण है तेल में
तेल केवल मालिश के ही काम आता हो ऐसा भी नहीं है. एरंड तेल कब्ज मिटाने के लिए दूध के साथ दिया जाता है। तो नजला जुखाम बंद नाक में षडबिन्दु तेल अथवा अणु तेल नाक में डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नहाते समय नाभि में, नाक में, पांव के तलवे पर तेल लगाना बहुत लाभकारी है। देसी घी तुरंत निकाला हुआ हथेली पर रखकर उंगली से रगड़ कर नाक में लगाने से खुश्की मिटती है। आंखों की ज्योति बढ़ती है।
हाथ पांव में दर्द, अकड़न, सूजन, जोड़ों का दर्द आदि में आयुर्वेदिक औषधि युक्त तेलों की मालिश से बहुत लाभ होता है।
किसी बीमारी में कौन सा तेल
कंधा, घुटना, कोहनी कमर में अकड़न लगे या जाम हो गया हो तो महानारायण तेल या वृ.सैन्धवादी तेल की मालिश उपयोगी है।
विशवाची, ऐसी बीमारी है जो उंगलियों के पिछले हिस्से को मांसपेशियों को प्रभावित कर हाथ और उंगलियों में पहले सुन फिर क्रिया नाश कर देती है। समय रहते विषगर्भ तेल की मालिश की जाए तो संतोषजनक लाभ होता है।
पक्षाघात (लकवा या अधरंग) कारण आधा शरीर बेकार हो जाता है, में खाने की औषधि के साथ बलातेल, अश्वगंधा तेल या महामाषतेल या नारायण तेल की मालिश लाभकारी है।
गर्दन का जकड़ जाना, इसके कारण तुम्हे घूम कर देखना कष्टकारी होता है, चककर आते है, में देसी घी में कुक्क्टाण्डत्वभसम और सेंधा नमक मिलाकर गर्दन पर मालिश करना बहुत लाभकारी है।
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