लहसुन रोग भगाए स्वास्थ्य बनाये
लहसुन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। गांव और देहात से चलकर महानगरों में अपने स्वास्थ्य रक्षक और स्वाद शिरोमणि होने की जलवा बिखेर रहा है लेकिन यह आम आदमी के लिए अचंभा हो सकता है कि लहसुन स्वास्थ्यवर्धक, स्वास्थ्य रक्षक की जिम्मेदारी को निभाता है सब्जी रायता चटनी में तो इसका प्रयोग अधिकांश घरों में होता ही है।
आयुर्वेद के विद्वानों ने स्वास्थ्य रक्षक 5 रस बताए हैं उन पांच प्रकार के रंगों में लहसुन में है तो गुणकारी होने का अनुमान लगाना सहज है।
भाषा या प्रांत भेद के कारण इसको इन नामों से भी जानते हैं रसोन, रसेन , लशुन, यवनेष्ट, लसूण, लसण,थूम,सूम, सीर और गार्लिक आदि। यह दो प्रकार का होता है रसोन और महारसोंन पहचान यह है कि रसोन के कंद और पत्ते छोटे होते हैं तथा महारसोंन उनके बड़े होते हैं।
इसमें एक प्रकार का पाया जाने वाला तेल उड़नशील होता है तथा प्रतिशत होता है 0.06 इसके अतिरिक्त, वसा 1%, प्रोटीन 6.3 प्रतिशत, खनिज 1.6 प्रतिशत, चुना 0.3 प्रतिशत , कार्बोज 29 प्रतिशत, फास्फोरस 31, लोहा 1.3 मिलीग्राम पृथ्वी शॉ ग्राम होता है।
इसके सेवन से संक्रमण रोगो का शमन होता है चेहरे पर तेज लाता है तथा वृद्धावस्था को रोक कर शरीर को ऊर्जावान बनाने में सक्षम है।
गुण और अवगुण दोनों का साथ होता है। तो लहसुन जितना गुणकारी है कुछ अवगुण यानी हानिकारक भी है। यह तीक्ष्ण उष्ण होने के कारण पित्त प्रकृति वालों को हानिकारक है। लहसुन के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए धनिए का प्रयोग हितकर है।
सभी के लिए इसका सेवन विद्वानों ने अनुपात भेद से करना बताया है। जैसे पित्तविकारों में शर्करा (शक्कर) (चीनी नहीं) कफ विकारों में शहद से और वायु वात विकारों में घी के साथ सेवन करना लाभकारी है।
इसके सेवन काल में परहेज करना बहुत आवश्यक है. अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि निश्चित है। लहसुन के सेवन काल में शराब, खट्टे पदार्थ, मांस ,का सेवन तथा व्यायाम, क्रोध, अति जलपान, दूध और गुड़ का सेवन ना करें।
(दमा) श्वास रोग में रुई को इसके रस में भिगोकर सूंघना लाभ करता है।
हड्डियों की कमजोरी या टूटी हड्डी में लहसुन खाने से लाभ होता है।
आंतो की परेशानी में इसके रस पांच -पांच बून्द पानी में मिलाकर पिलाना हितकर होगा।
दमा का दौरा आए तो एक कप गर्म पानी में 10 बूंद इसका रस मिलाकर पिलाना लाभकारी है।
हिचकी यह कोई याद कर रहा है, के अतिरिक्त रोग भी है। लहसुन के रस में महिला का दूध मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद होती है।
काली खांसी 5 बूंद इश्क का रस एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 2 बार देने से आराम मिलता है।
कूकर खांसी से अक्सर बच्चे खास खास कर उल्टी कर देते हैं मुंह लाल हो जाता है इस हालत में लहसुन को छीलकर उसकी कलियों की माला बनाकर बच्चे के गले में पहना ना हितकर है। लहसुन को तेल में जलाकर तेल ठंडा कर छाती पर मालिश करना हितकर है। तीन लहसुन की कलियों को कुचलकर रस निकाल चीनी मिलाकर पीड़ित को देने से लाभ होता है।
कान में दर्द या कान में फुंसी होने पर इसकी कलियां तिल के तेल में जला कर ठंडा कर कानों में दो-दो बूंद डालें।
गले में सूजन हींग मिलाकर इसका रस गले के बाहर दर्द वाली जगह पर लगाना लाभकारी है।
टॉन्सिल गले में अंदर दर्द सूजन हो तो दो कली पीसकर पानी में उबालकर गरारे करना हितकर है।
दांत दर्द दांत में कीड़ा लगने पर एक दो कली छीलकर गरम कर दांत के नीचे दबाना हितकर है।
गुर्दे की पथरी हो तो 5 कली लहसुन, पांच रत्ती जवाखार(यवक्षार ) 3 ग्राम गोखरू का चूर्ण पानी के साथ हरड़ दिन में तीन बार लेना लाभकारी है।
पेशाब में रुकावट बूंद बूंद आना, जलन आदि होने पर इसकी पोटली सी बनाकर नाभि के नीचे बांधने से मिलता है।
स्तनों में ढीलापन या कमजोरी हो तो लहसुन की तीन कलियों का सेवन प्रति दिन करना चाहिए।
गंजापन के लिए इसका रस लगाएं तथा स्वतः सूखने दें इस क्रिया के निरंतर करने से लाभ की आशा है।
जू से परेशान के लिए 3 -4 कलियां पीसकर नींबू के रस में मिलाकर रात सोते समय सिर पर लगाएं, सवेरे साबुन से सिर धो ले चार-पांच दिन करें लाभ होगा।
गठिया जोड़ों का दर्द कुछ कलियां छीलकर कुचलकर तेल में डालकर उबाल कर ठंडा कर सवेरे शाम मालिश करें लाभ होगा।
आयुर्वेद में एक ही जड़ी बूटी पेड़ पौधों के अनेकों प्रयोग मिलते हैं और अनेकों मनुष्य की पृथक प्रकृति के कारण औषधीय औषधि भी सबकी प्रकृतिनुसार अलग होती है।
उक्त सभी उपाय उपचार सामान्य है। प्रयोग करने से पहले स्थानीय चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
आयुर्वेद के विद्वानों ने स्वास्थ्य रक्षक 5 रस बताए हैं उन पांच प्रकार के रंगों में लहसुन में है तो गुणकारी होने का अनुमान लगाना सहज है।
भाषा या प्रांत भेद के कारण इसको इन नामों से भी जानते हैं रसोन, रसेन , लशुन, यवनेष्ट, लसूण, लसण,थूम,सूम, सीर और गार्लिक आदि। यह दो प्रकार का होता है रसोन और महारसोंन पहचान यह है कि रसोन के कंद और पत्ते छोटे होते हैं तथा महारसोंन उनके बड़े होते हैं।
इसमें एक प्रकार का पाया जाने वाला तेल उड़नशील होता है तथा प्रतिशत होता है 0.06 इसके अतिरिक्त, वसा 1%, प्रोटीन 6.3 प्रतिशत, खनिज 1.6 प्रतिशत, चुना 0.3 प्रतिशत , कार्बोज 29 प्रतिशत, फास्फोरस 31, लोहा 1.3 मिलीग्राम पृथ्वी शॉ ग्राम होता है।
इसके सेवन से संक्रमण रोगो का शमन होता है चेहरे पर तेज लाता है तथा वृद्धावस्था को रोक कर शरीर को ऊर्जावान बनाने में सक्षम है।
गुण और अवगुण दोनों का साथ होता है। तो लहसुन जितना गुणकारी है कुछ अवगुण यानी हानिकारक भी है। यह तीक्ष्ण उष्ण होने के कारण पित्त प्रकृति वालों को हानिकारक है। लहसुन के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए धनिए का प्रयोग हितकर है।
सभी के लिए इसका सेवन विद्वानों ने अनुपात भेद से करना बताया है। जैसे पित्तविकारों में शर्करा (शक्कर) (चीनी नहीं) कफ विकारों में शहद से और वायु वात विकारों में घी के साथ सेवन करना लाभकारी है।
इसके सेवन काल में परहेज करना बहुत आवश्यक है. अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि निश्चित है। लहसुन के सेवन काल में शराब, खट्टे पदार्थ, मांस ,का सेवन तथा व्यायाम, क्रोध, अति जलपान, दूध और गुड़ का सेवन ना करें।
लहसुन के कुछ घरेलू उपचार उपायों पर विचार करें:
(दमा) श्वास रोग में रुई को इसके रस में भिगोकर सूंघना लाभ करता है।
हड्डियों की कमजोरी या टूटी हड्डी में लहसुन खाने से लाभ होता है।
आंतो की परेशानी में इसके रस पांच -पांच बून्द पानी में मिलाकर पिलाना हितकर होगा।
दमा का दौरा आए तो एक कप गर्म पानी में 10 बूंद इसका रस मिलाकर पिलाना लाभकारी है।
हिचकी यह कोई याद कर रहा है, के अतिरिक्त रोग भी है। लहसुन के रस में महिला का दूध मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद होती है।
काली खांसी 5 बूंद इश्क का रस एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 2 बार देने से आराम मिलता है।
कूकर खांसी से अक्सर बच्चे खास खास कर उल्टी कर देते हैं मुंह लाल हो जाता है इस हालत में लहसुन को छीलकर उसकी कलियों की माला बनाकर बच्चे के गले में पहना ना हितकर है। लहसुन को तेल में जलाकर तेल ठंडा कर छाती पर मालिश करना हितकर है। तीन लहसुन की कलियों को कुचलकर रस निकाल चीनी मिलाकर पीड़ित को देने से लाभ होता है।
कान में दर्द या कान में फुंसी होने पर इसकी कलियां तिल के तेल में जला कर ठंडा कर कानों में दो-दो बूंद डालें।
गले में सूजन हींग मिलाकर इसका रस गले के बाहर दर्द वाली जगह पर लगाना लाभकारी है।
टॉन्सिल गले में अंदर दर्द सूजन हो तो दो कली पीसकर पानी में उबालकर गरारे करना हितकर है।
दांत दर्द दांत में कीड़ा लगने पर एक दो कली छीलकर गरम कर दांत के नीचे दबाना हितकर है।
गुर्दे की पथरी हो तो 5 कली लहसुन, पांच रत्ती जवाखार(यवक्षार ) 3 ग्राम गोखरू का चूर्ण पानी के साथ हरड़ दिन में तीन बार लेना लाभकारी है।
पेशाब में रुकावट बूंद बूंद आना, जलन आदि होने पर इसकी पोटली सी बनाकर नाभि के नीचे बांधने से मिलता है।
स्तनों में ढीलापन या कमजोरी हो तो लहसुन की तीन कलियों का सेवन प्रति दिन करना चाहिए।
गंजापन के लिए इसका रस लगाएं तथा स्वतः सूखने दें इस क्रिया के निरंतर करने से लाभ की आशा है।
जू से परेशान के लिए 3 -4 कलियां पीसकर नींबू के रस में मिलाकर रात सोते समय सिर पर लगाएं, सवेरे साबुन से सिर धो ले चार-पांच दिन करें लाभ होगा।
गठिया जोड़ों का दर्द कुछ कलियां छीलकर कुचलकर तेल में डालकर उबाल कर ठंडा कर सवेरे शाम मालिश करें लाभ होगा।
आयुर्वेद में एक ही जड़ी बूटी पेड़ पौधों के अनेकों प्रयोग मिलते हैं और अनेकों मनुष्य की पृथक प्रकृति के कारण औषधीय औषधि भी सबकी प्रकृतिनुसार अलग होती है।
उक्त सभी उपाय उपचार सामान्य है। प्रयोग करने से पहले स्थानीय चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
वैद्य हरिकृष्ण पाण्डेय 'हरीश '
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